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मित्रो ज्योतिष सागर की वो गहराई है जिसको कभी नापा नहीं जा सकता इसमें आप जितना पड़ोगे उतना डूबते जाओगे
इंटरनेट से उठाकर कोपी मार देना या कुछ भी लिख देना यह ज्योतिष कभी भी नहीं हो सकता इसको समझना इतना आसान नहीं है आपको साइंस का विद्यार्थी होना बहुत जरुरी है पहले आप ग्रहों नक्षत्रो और अपने आकाशमंडल के बारे में कितना जानते हो उसके बाद आप इसको ज्योतिष पर रिसर्च करके देखों तब जो चीज़ बाहर निकालकर आयेगी वो आपका अमृत होगा
कुंडली में जहा पर 6 नम्बर लिखा है उसको शत्रु भाव कहते है रोग कर्ज और दुश्मनी इस भाव से ही देखी जाती है इस भाव के कारक मंगल और शनि होते है
इसलिए आप कभी भी देख लेना जिसकी भी कुंडली में शनि मंगल खराब स्थति में होते है उनको कोई न कोई बीमारी लाइफ टाइम लगी रहती है इस भाव के स्वामी को रोगेश भी कहते है
यह भाव लग्नेश के दुश्मन का घर होता है जो इसका कट्टर शत्रु भी होता है और कई जगह इसके मित्र की राशि भी होती है और कई जगह सम राशि भी होती है
ऐसे में ऐसा होता है जब मित्र की राशि 6 भाव में होती है अपना ही कोई बहुत प्यारा एक दिन सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है यह चोट बहुत दर्द देती है क्योंकि जब अपने ही दुश्मनी पर आ जाते है तब दर्द और जख्म नहीं भरते है
जिन कट्टर दुश्मन के पास यह भाव होता है जो की लग्नेश के है उनसे इसकी दुश्मनी जो होती है वहाँ से संभल जाता है क्योंकि उनके हाव भाव को यह समझता है पर जहा इसके मित्र की राशि 6 भाव में हो इसको नुक्सान दिल और दिमाग दोनों से होता है
कर्क लग्न में चंद्रमा का मित्र गुरु 6 भाव का स्वामी है ब्रहस्पति से लड़ने के बस में नहीं यह शस्त्र कैसे उठाये उस पर वही बात आ जाती है अर्जुन कृष्णा से बोलता है हे वासुदेव में अपने गुरु पर प्रहार कैसे करूँ
मीन लग्न की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है वहाँ शत्रु सूर्य है
गुरु लग्नेश है गुरु पर सूर्य कैसे प्रहार कर्रे और सूर्य पर गुरु पर जब यह लड़ेंगे इस युद्ध का अंत बहुत भयानक होगा इन लग्नो में विश्वास घात अपनों से ही मिलने के चांस काफी हद तक ज्यादा होते है
तुला लग्न में शुक्र लग्नेश है और गुरु के पास 6 भाव का
यहाँ यह आर पार की लड़ाई लड़ लेंगे क्योकि नेरसंगिक ही यह दुश्मन है मन में इनके आग शुरू से जल रही है विचारों की
खेर छोड़ो लिखने बैठ गया तो लिखता ही रह जाऊंगा
6 भाव अगर कुंडली में कमजोर हुआ आप बीमारियों की चपेट में बहुत जल्दी आ जाओगे आपका शरीर बहुत कमजोर होगा यह तब ज्यादा होगा जब लग्नेश से ज्यादा रोगेश आपकी कुंडली में ताक़तवर होगा अगर लग्नेश रोगेश से ज्यादा स्ट्रांग होगा तो आप में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बहुत अच्छी है
आपको जल्दी बीमारी नहीं लगेगी
इस भाव से आप पर कर्ज भी हो सकता है अगर यह भाव खराब हुआ आप कर्ज लेंगे और डूब जाओगे कर्जो में ज़िन्दगी निकल जाएगी इस भाव से अगर सम्बन्ध 4 भाव के स्वामी का बन गया आपकी प्रॉपर्टी कार घर सब बिक जायगा आप सड़क पर आ जाओगे
अगर यह भाव मजबूत हुआ आप कर्ज ले लेकर अपना कारोबार खड़ा कर लोगे आपका ज्यादा तर काम कर्ज लेकर ही चलेगा
कुछ लोग कर्ज लेकर टीवी खरीद लिए कार ले ली लेपटॉप ले लिए
और उनका 6 भाव खराब हुआ तो फिर यह इन छोटे छोटे कर्जो को भी नहीं उतार पाते है
इस भाव से लड़ाई झगड़ा भी देखा जाता है आप अपने दुश्मन को कितना दबा कर रख सकते हो
अगर यह भाव सुपर स्ट्रांग हुआ तो आप दूसरों को कर्ज दोगे ब्याज का पैसा खाओगे अपने दुश्मनों को दबा कर रखोगे आपके दुश्मन आपसे कभी भी जीत नहीं पाएंगे
अगर यह भाव खराब हुआ तो आपके दुश्मन आप पर केस करेंगे कोर्ट कचेरी का मुकदमा हार जाओगे
इस भाव से चोट एक्सीडेंट भी देखा जाता है आपका चोट एक्सीडेंट का क्या योग है किसी अस्त्र शस्त्र से आग पानी शस्त्र से किस चीज़ से आपको कितना खतरा है
अंग भंग योग तो आपकी कुंडली में नहीं है किसी शरीर का हिस्सा आपके शरीर से अलग करना पड़ जाए आपको बीमारिया कितने टाइम त्तक रहेगी
आपकी दासता का भाव भी यही है 10 भाव से गिनने पर यह नवम आता है आपके नोकर चाकर आप जो।नोकरी करते हो नोकरी करने का भाव भी यही है
आपके पेट से सबंधित समस्या नाभि से नीचे का भाव भी यही है
इस भाव का स्वामी अगर 6 .8 12 हो तो अच्छा माना जाता है बुरे भाव का स्वामी बुरे भाव में सही होते है पर यह केंद्र त्रिकोण में हो तो भाव को।खराब करते है उससे संबंधित फल खराब करते है
शनि कुंडली में खराब हो आपकी आपको नोकर चाकर कभी भी अच्छे मिल ही नहीं सकते खूब हेरा फेरी चोरी होगी
इस भाव को।उपचय भाव कहते है कॉम्पिटिशन में आप जीत पाओगे भी या नहीं इस भाव से पता चल जाता है

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