ग्रह दृष्टि =
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आज बात करते है ग्रहो की दृष्टि की तो सबसे पहले हम समझेंगे की दृष्टि शुभ और असूभ किसकी है तो गुरु , शुक्र , बुध और सूर्य से दूर पक्ष में बलबान चन्द्रमा की दृष्टि शुभ होती है और अब देखे तो शनि राहु की दृष्टि असूभ है साथ साथ कमी अल्पता का सूचक है मंगल और केतु की दृष्टि कलह और मरणात्मक है सूर्य की दृष्टि पृथ्जनात्मक है तो जिस भाव पर गुरु और शुक्र की दृष्टि होती है उस भाव की वृद्धि होती है चन्द्रमा बुध के लिए भी यही होगा अच्छा फल देगा, शनि और और राहु की दृष्टि जहाँ पर ही होती है उस भाव के सम्बंदि फलों में कमी हो जाती है और अल्पता दे देता है उस भाव के यदि फल मिलेगी तो बहुत ही देरी से मिलेंगे अब सूर्य तो अग्नि है सूर्य की दृष्टि जहाँ होगी उस भाव के फल में पृथ्जनात्कम प्रभाव होगा मतलब फल मिलेगा नही मिलेगा तो बहुत ही कम मिलेगा बस धर्म की दृष्टि से सूर्य की दृष्टि अच्छी होती है अब मंगल और केतु की दृष्टि को मरणात्मक कहा गया है जिस भाव पर इनकी दृष्टि होगी वो भाव हमें कलह की और इशारा करेगी , और उस भाव के सम्बंदि अंग पर चोट लगने की भी पूरी संभावना रहती है और जिस भाव पर केतु और मंगल की होगी उस अंग और चोट या ऑपरेशन आदि का पक्का सम्भावना होगी , अब दृष्टि आदि में हमें एक यह चीज भी समझनी चाहिए कि जैसे धनु राशि के अंदर यदि शनि हो तो हम यह भी समझना चाहिये कि गुरु की दृष्टि शुभ नही होगी , क्योंकि उस स्तिथि में गुरु की दृष्टि में भी शनि का असूभ प्रभाव होगा क्योंकि जो राशि गुरु की है वहा शनि देव विराजमान होंगे तो शनि के भी फल मिलेंगे
आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही स्पष्ट है जिस कारण से मेरे ज्ञान में वृद्धि ही हुई है किंतु आपने जिस टॉपिक को उठाया है वह बहुत अधिक बड़ा है जिस कारण से पाठक के रुचि बनी रहती है और उस उसकी उत्सुकता का अंत नहीं होता है हमारे द्वारा एक एस्ट्रोलॉजी चैनल यूट्यूब के माध्यम से चलाया जाता है यदि आप अनुमति दें तो हमारे चैनल के वीडियो के लिंक आपके ब्लॉगस्पॉट पर प्रकाशित किए जा सकते हैं जिससे पाठक के ज्ञान में वृद्धि होगी और आपके ब्लॉक्स्पॉट को अधिक से अधिक ट्रैफिक भी मिल सकेगा यदि आप हम से सहमत हो तो यूट्यूब पर गोयल एस्ट्रोलॉजी के किसी वीडियो पर कमेंट कर हमें अनुग्रहित करें धन्यवाद
ReplyDeleteKetu ki drashti ko aur clear kre agar vah dhanu rashi me hai to
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