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श्री हरि जय सिया राम, 
जय श्री शनि देव =
★★★★★★
आज बात करते है शनि देव की तो यह सूर्य की परिक्रमा सबसे धीमी गति से करते है यह अपना एक चक्र साढे 29 वर्ष में पूरा करते है तो इसको मद गति ग्रह और आयु कारक भी बोला गया है शनि देव सूर्य से बहुत दूर स्तिथ है और शनि देव की चारो और वलय कंकण भी है जिसकी संख्या है 3 जिससे शनि देव की सुंदरता और भी बढ़ जाती है शनि देव इन कंकणो सहित ही सूर्य देव की परिक्रमा करता है जिससे शनि देव रहस्यमय ग्रह भी बन जाता है और जिन लोगो का शनि अच्छा होता है वो रहस्मय विद्या का अच्छा जानकर हो जाता है शनि देव दुःख वैराग्य कमी , अल्पता आदि के कारक है तो कोई भी हो स्त्री या पुरुष आस्तिक हो या नास्तिक सब डर जाते है ग्रह कोई ना कोई जानकारी देते ही रहते है वैसे ही दुखो की जानकारी कुंडली में शनि देव देते है वैसे शनि देव को पापी ग्रह कहा गया है तो जी जातक को सुखों से दूर करके मन मे वैराग्य की भावना पैदा करते है शनि देव को प्रजातांत्रिक ग्रह कहा गया है तो राजनीतिज्ञों की कुंडली मे सफलता या असफलता के लिए शनि देव बहुत ही महत्तपूर्ण हो जाते है इस जन्म के मनुष्य को कब कितना दुख मिलेगा इसका विचार शनि की उपस्तिथि पर ही होता है इसके अलावा आयु , मृत्यु, चोरी , हानि , दिवाला, बंधन, जेल , मुकदमा, आदि का विचार भी शनि देव से करते है जब गोचर से शनि देव , अश्वनी, मघा, मूल , विशाखा, पुर्नवसु, नक्षत्रों से गुजरता है तो शुभ फल दायक होता है जब शनि देव चंद्रमा से 12-1-2 गुजरता है तो कष्ट दायक होता है वो समय होता है साढे साती का जिससे सघर्ष के वाद ही सफलता मिल पाती हैशनि देव की पीड़ा मुक्ति के लिए हमें हनुमान जी महाराज की पूजा करनी चाहिए जिससे हम शनि देव के कष्टों से मुक्ति पा सकते है 

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