सूर्य और शुक्र
सूर्य और शुक्र में बहुत गहरी दुश्मनी है एक नवग्रहों में राजा है दूसरा ग्रह शुक्र जो सुख साधन कवि रास और रस का स्वामी है
ब्रहस्पति को प्रधानमंत्री का पद मिला है
शुक्र को गृहमंत्री का पद यानी कि होम मिनिस्टर
सूर्य नवग्रहों में राजा है और देवताओं का पक्ष रखता है और शुक्र ग्रह दानवों का पक्ष रखते है
सूर्य एक चरित्रवान ग्रह है जिसका चरित्र बहुत स्ट्रांग है और शुक्र भावुक है काम वासना और सुंदरता मोह माया से इसका गहरा नाता है
सूर्य चाहता है कि उसकी सभी प्रजा चरित्रवान बने पर शुक्र के प्रभाव से कही न कही चरित्र पर दाग लग ही जाता है अगर शुक्र कुंडली मे पीड़ित हो या पाप प्रभाव में हो
सूर्य शुक्र अगर साथ हो तो ज्यादातर कुंडली मे काम वासना और योन अंगो में इसका प्रभाव आ ही जाता है क्योकि शुक्र से बनने वाले शुक्राणु सूर्य के तेज से जल जाते है या हमारे शरीर मे कई बार प्रजनन करने की क्षमता पर भी इसका गहरा असर पड़ जाता है
सूर्य के जितना नजदीक शुक्र चला जाता है उसके कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है
सूर्य और चंद्रमा यह दोनों ग्रह शुक्र की ताक़त को नष्ट कर देते है शुक्र का बल इनसे नष्ट हो जाता है
और शुक्र सूर्य के पास जाकर तेजहीन हो जाता है
सूर्य एक राजा है और एक राजा कभी नही चाहेगा कि उसके राज्य में वेश्यावर्ती हो वो इसको चरित्र के मामले में अच्छा नही मानता है और इससे नफरत करता है यह बिल्कुल ऐसा ही है जब किसी राज्य में बलात्कार वेश्यावर्ती बढ़ जाती है तो हमारी सरकार इसको रोकने के लिए बहुत कड़े कदम उठाती है और इसको रोकने के लिए जो हो सकता है वो करती है
ऐसे ही सूर्य नवग्रहों में राजा के पद पर होने से इसकी ताक़त को कम करने की कोशिश करता है और इसको अपना दुश्मन मानता है इससे नफरत करता है
चंद्रमा इसको अपने काबू में रखने की कोशिश करती है जैसे शुक्र चंद्रमा की युति में चंद्रमा मन से शुक्र के गुण धारण कर लेता है रोमेंस प्यार में उसकी दिलजसपी बढ़ जाती है चंद्रमा चाहता है में जैसा चाहूंगा यह वैसा करे यह शुक्र इससे भी नफरत करता है
मंगल ग्रह शुक्र को देखकर ललचाता है मचलता है वो इसके रूप रंग पर मोहित हो जाता है इसलिए शुक्र मंगल को दुश्मन की नज़र से नही सम नज़र से देखता है न मित्र ने ही शत्रु
मंगल ऊर्जा का रूप है शुक्र काम वासना का रूप है मंगल के साथ शुक्र की ऊर्जा में बढ़ोतरी हो ही जाती है इसलिए मंगल शुक्र की युति वाले लोग चाहे ऊपर से शांत दिखते हो पर अंदर ही अंदर कामवासना ज्यादा देखी जाती है
शुक्र की वेश्यावर्ती को रोकने के लिए जो भी मास्टर प्लानिंग होती है वो देव गुरु बृहस्पति करते है कैसे कौन से तरीको से शुक्र की ऊर्जा को कम कर दिया जाय गुरु शुक्र में इस वजह से वैचारिक मदभेद ज्यादा रहते है
बुध के पास युवराज का पद है और शुक्र से बहुत गहरी मित्रता है बुध की मदद से शुक्र बहुत तेजी से अपने कार्यो को अंजाम दे देता है मिथुन राशि बहुत ही ज्यादा काम वासना से भरी होती है उन पर आप हमेशा एक लड़की और एक लड़के का चिन्ह देखोगे वो प्रतीक है कामदेव और रति की शुक्र बुध हमेशा से ही एक अच्छे मित्र रहे है
शुक्र का कोई भी काम बिना शनि के चल ही नही सकता शुक्र को।एक ऐसे मित्र की जरूरत है जो बहुत ताक़तवर हो और सूर्य चंद्रमा काशत्रु इसलिए शुक्र शनि के बहुत करीबी मित्र है
ग्रह सभी अच्छे होते है सभी ग्रहों में एक तेज है जो हमको मिल जाता है हमारे शरीर के हर एक अंग का कोई न कोई कार्य है जिससे हमें इस जीवन मे सहायता मिलती है
इसलिए सभी ग्रह अपने आप मे बहुत अच्छे होते है
कुछ लोग बोलते है शुक्र के पास वो ताक़त है कि मरे हुए इंसान की जीवित कर सकता है
हा बिल्कुल है पर सोचने का नजरिया अलग है
शुक्र शुक्राणु है वो फिर से प्रजनन करके एक शरीर का निर्माण कर सकता है एक स्त्री और पुरुष के मिलान से वो फिर उस आत्मा को एक नया जीवन दे सकता है
जिसको आप समझते हो वो मरे इंसान को फिर जीवित कर सकता है आत्मा को एक शरीर की जरूरत होती है वो शरीर सिर्फ और सिर्फ शुक्र ही बनाकर दे सकता है
शुक्र बहुत अच्छा ग्रह है पर जीवन मे सभी चीज़ों के लिए नियम और संयम जरूरी होता है जरूरत से ज्यादा ताक़तवर शुक्र इंसान को काम और वासना शराब शबाब में धकेल सकता है
और कमजोर शुक्र जीवन नरक भी कर सकता है
इसलिए ऐसा कहा गया है अपनी काम और वासना को हमको अपने नियंत्रित में रखना चाहिए जिससे मॉनव का कल्याण हो
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