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पंचम भाव में राहु का फल 
पंचम भाव में राहु की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है। ऐसा जातक क्रोधी एवं हृदय रोगी होता है। इन्हे अपने संतान का दुख सहन करना पड़ता है। पंचम भाव में राहु जातक को भाग्यशाली बनाता है। ऐसा व्यक्ति पौराणिक ग्रंथो का ज्ञाता होता है। ऐसे जातक चिंतक या दार्शनिक होते हैं।
यह अपने माता पिता के धन का उपयोग करने वाला होता है। गृह-कलह से भी ऐसा जातक परेशान रहता है। ऐसा जातक प्यार में भी धोखा खाता है। जातक से बड़े भाई बहन का कोई न कोई ऑपरेशन जरूर होता है।. सप्तम भाव में राहु का फल 
यदि सप्तम भाव में राहु हो तो जातक परस्त्रीगामी होता है। ऐसे जातक की पत्नी/पति रोगिणी होती है। ऐसे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखमय नहीं होता है। चरित्र संदेहास्पद रहता है। इस जातक की स्त्री प्रचण्डरूपा तथा झगड़ालू होती है। इसे पूर्णतः स्त्री सुख नहीं मिलता है।
सप्तम भावस्थ राहु उन्मत यौवनारूढ़ युवकों को व्यभिचारी होने के लिए अंतःप्रेरणा देता है क्योंकि इनकी स्त्री मधुरभाषिणी रूपयौवनसंपन्ना और आज्ञाकारिणी नहीं होती है इनका स्वभाव उग्र होता है।. अष्टम भाव में राहु का फल 
जन्मकुंडली में अष्टम स्थान में राहु जातक को हष्ट-पुष्ट बनाता है। वह गुप्त रोगी, व्यर्थ भाषण करने वाला, मूर्ख के साथ-साथ क्रोधी, उदर रोगी एवं कामी होता है। ऐसा व्यक्ति कवि, लेखक, क्रिकेटर तथा पत्रकार होता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु होता है। अष्टम में राहु होने से स्त्रीधन, किसी सम्बन्धी के वसीयत का धन प्राप्त होता है।
यदि स्त्री राशि का राहु होता है वैसे जातक की पत्नी धैर्यवती धनसंग्रहकारिणी, तथा विश्वासयोग्य होती है। ऐसे व्यक्ति को मृत्यु का ज्ञान कुछ समय पहले ही हो जाता है।

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